मिट्टी की परतों से,पथरीले रास्तों से
यदि जड़ें तुम्हारी घबराती हों, हिम्मत नहीं जुटा पाती हों
तो मेरे नाव पल्लव साथी, ये जगह तुम्हारे लिए नहीं है
डर है यदि गिर जाने का तो, शिखर तुम्हारे लिए नहीं है।
मन को सुलझाने में, ध्येय नया पाने में
यदि अड़चन दिखती हो, यदि भटकन दिखती हो
डर है यदि गिर जाने का तो, शिखर तुम्हारे लिए नहीं है।
बार बार की बिखरन, उलझा उलझा जीवन
यदि बेचैनी लाता हो, मन सोच सहम जाता हो,
तो इन बाणों को तरकस दो, ये दुर्ग तुम्हारे लिए नहीं है।
पांव लगे घावों से पथ के बहकावों से
यदि पीड़ा पाता हो, दृग में आँसू लाता हो
तो रास्ता कोई और चुनो, ये शिला तुम्हारे लिए नहीं है।
यदि डर है गिर जाने का तो,ये शिला तुम्हारे लिए नहीं है।