Best Motivational Poem : बोलो कहाँ तक टिक सकोगे..यदि राम सा संघर्ष हो..!! kavi sandeep dwivedi

मेरी यह कविता आपको ये सुनाती नही फिरेगी कि ये करो वो करो ये सोचो वो सोचो..
बल्कि आपको एक चरित्र को लेकर आपसे कुछ प्रश्न करेगी..
क्यूंकि जिस चरित्र पर यह कविता है उन्हें उनके संघर्षो इनके त्यागो से ही पूजा जाता है..
और वो चरित्र है भगवान् श्री राम..हा सभी इनके संघर्षों से परिचित हैं ,,
लेकिन क्या कभी इन्हें लेकर इनके संघर्षों को लेकर अपने भीतर कुछ प्रश्न आये हैं..?नही ..
ये कविता इस्न्ही प्रश्नों को अपने में समेटती है..बीएस ध्यान से सुनियेगा क्यूंकि अगर प्रश्न की गहरे तक नही उतर पाए तो आप प्रश्नों से पर्याप्त ऊर्जा नही ले सकेंगे….

सह ली कितनी यातना,पर 
कर्तव्य सर्वोपरि रखा
 त्याग, शील, संकल्प को
 जिस तरह जीवित रखा.. 
बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..
 
कल मुकुट जिस पर साजना था 
अब उसे सबकुछ त्यागना था.. 
निर्णयों के द्वन्द से, 
क बालपन का सामना था.. 
वचन भी था थामना, 
आदेश भी था मानना.. 
इस द्वंद में सोचो स्वयं को 
धर्म पर तुम रख सकोगे ?
बोलो, कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..
प्रजा तो बस राम की थी 
दुनिया उसे तो जप रही थी..
वचन ही था तोड़ देता
धर्म ही था छोड़ देता.. 
पर पीढ़िया क्या सीख लेंगी.. 
राम की चिंता यही थी.. 
हो छिन रहा एक क्षण में सबकुछ 
सोचो एक क्षण..क्या करोगे ?
बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..
 
 
केवट न जाने क्या किया था 
 
सौभाग्य जो उसको मिला था.. 
 
राम से ही तारने को , 
 
राम से ही लड़ गया था..
 
कुल, वंश उसके तर रहे थे 
 
सब राम अर्पण कर रहे थे..
 
जब सबकुछ हो बिखरा हुआ 
 
तुम सरल कब तक रह सकोगे..?
 
बोलो, कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..
है याद वो घटना तुम्हे ?
जब राम थे वनवास में.. 
सिया थी हर ली गई
था कौन उनके साथ में..? 
कुटी जब सूनी पड़ी थी 
दो भाई और विपदा बड़ी थी.. 
बोलो ऐसे मोड़ पर,
 तुम धैर्य कब तक रख सकोगे...?
बोलो कहाँ तक टिक  सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..!!
 
वह तो स्वयं भगवान था 
पर कहाँ उसमे मान था ..
किरदार भी ऐसा चुना, 
जिसमें सिर्फ़ बलिदान था..
मर्यादा के प्राण थे
 रघुवंश के अभिमान थे .. 
श्री राम के अध्याय से 
एक पृष्ठ हासिल कर सकोगे..?
 बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो...
 
व्यथा इतनी ही नही है 
यह कथा इतनी ही नही है.. 
कुछ शब्द उनको पूर्ण कर दे
 राम वो गाथा नही है... 
जब तपे संघर्ष  में, 
तब हुए उत्कर्ष में..
क्या तुम भी ऐसी प्रेरणा
 पीढ़ियों के बन सकोगे..?
बोलो कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो....
                                -kavi sandeep Dwivedi

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