जिस दशा में हो अर्जुन उसको.. जग कायर कहकर गाता है |best poem by kavi sandeep dwivedi

अर्जुन अनगिन शस्त्र तुम्हारे तनी भुजाओं के प्यासे हैं.. भेद रही है तेरी शिथिलता, भरी भरी इनकी सांसें है..  युद्ध भूमि में खड़े हुए का, युद्ध ही आँका जाता है.. जिस दशा में अर्जुन उसको जब कायर कहकर गाता है..   अर्जुन जो कुछ मैंने छोड़ा बोलो,क्या सब मन का था? परिवार युद्ध…

धन्य मराठी माटी रे |Best Poem on Shivaji Maharaj by Kavi Sandeep Dwivedi

धन्य मराठी माटी रे  धन्य मराठी माटी रे  तेरे लाल के दम पर गदगद,  हुई धरा की छाती रे। मातृभूमि के लिए लड़े वो  मातृभूमि के प्यारे  मां और गुरु के संदेशों को  सदा माथ पर धारे  नही सहा अन्याय किसी का न्याय की राह लुभाती रे।। तेरे लाल के दम पर गदगद,  हुई धरा की छाती रे। उत…